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Always remember that

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 A man who can control his sexual urge is a man who can live many years on earth. Men don't know that some of their failures are caused by multiple girlfriends Not all girls have good spirit. Some are demons, others have venom between their legs. Some women are destiny destroyers, beware. Pay close attention: 1. A real man only has one woman in his life. 2. Don't obey your Erection at all times. Most erections mislead you Control your erection if you don't want to have few days on earth with much poverty in you. 3. Don't date a lady because she has curves, boobs and a sexy shape. These things are simply misleading avoid such, don't fall for what is called social media irony. 4. Not everything you see under skirt you must work to eat, some skirts contain snakes that bite you and make you uncomfortable. control your sexual urge Self control and abstinence pays a lot in most cases. 5. Marrying a woman doesn't mean she owns you. Treat her with respect Make her your

लिखना है?

  तो लिखो उस कुतिया की आँखों के बारे में जिसके पिल्ले का धड़ सड़क से गुज़र रहे टायरों में थोड़ा-थोडा चिपक चिपक कर साफ़ हो रहा है!  लिखो उस शर्मिंदा हिजड़े के नाक के पसीने के बारे में जो सब कुछ होना चाहता है सिवाय एक हिजड़े के!  तुम लिख सकते हो उस जवान हाथ की कंपकंपाहट जो ब्लेड लिए नस का॰टने के नफे-नुक्सान को तौल रहा है! कभी लिखकर देखो उस चिड़िया के फडफडाते परों के बारे में जो एक चील को अपने सामने से अपना बच्चा दबोचते हुए देख रही है!  या लिखो उस मुर्गे के कानों के बारे में जो ध्यान से सुन रहे हैं दो ग्राहकों की झटके और हलाल की डिबेट! तुम लिखो एक झोपड़ी में रात भर चली फुसफुसाती अन्ताक्षरी को जो टूटी छत से पानी टपकने की वजह से हो रही है!  किसी दिन उतार दो पन्ने पर, उस विकलांग की शर्म जिसने बाथरूम पहुँचते पहुँचते फर्श पर टट्टी कर दी है!  तुम लिख कर देखो उस बाँझ आँख की चमक जिसे वाश-बेसिन में पड़ी उलटी में एक उम्मीद की रंगोली दिख रही है!  चाहो तो उस ट्यूब-बेल की मोटी धार के बारे में लिख सकते हो, जो कुछ नंगे बच्चों के पिछवाड़े को चूम कर धान को सुनहरा बना रहे हैं! लिखो शहर की सबसे ऊंची बिल्डिं

क्रिकेट

 श्रीलंका का एक खिलाड़ी था, उसके दिमाग में बस एक ही चीज चलती थी…. क्रिकेट.क्रिकेट और बस क्रिकेट… अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर उसे श्री लंका की टेस्ट टीम में डेब्यू करने का मौका मिला…. पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट . . . टीम से निकाल दिया गया…. . practice…practice….practice…. फर्स्ट क्लास मैचेज में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया और एक 21 महीने बाद फिर से मौका मिला। पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट दूसरी इन्निंग्स……. 1 रन पे आउट … फिर टीम से बाहर। .. प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….प्रैक्टिस…. फर्स्ट क्लास मैचेज में हजारों रन बना डाले और 17 महीने बाद एक बार फिर से मौका मिला…. पहली इन्निंग्स…… जीरो पे आउट दूसरी इन्निंग्स……. जीरो पे आउट . . . फिर टीम से निकाल दिया गया…. . प्रैक्टिस… प्रैक्टिस….प्रैक्टिस….प्रैक्टिस… प्रैक्टिस….प्रैक्टिस… और तीन साल बाद एक बार फिर उस खिलाड़ी को मौका दिया गया…..जिसका नाम था मर्वन अट्टापट्टू इस बार अट्टापट्टू नहीं चूका उसने जम कर खेला और ….श्रीलंका की और से 16 शतक और 6 दोहरे शतक जड़ डाले और श्रीलंका का one of the most successful कप्तान बना! सोचिये ज

गोलमोल भाषा और गोलमोल भाव ही आज की सफल कविता है।

 संभवतः यह 1930 के दशक के उत्तरार्द्ध की बात है। पटना-स्थित  बिहार समाजवादी दल  के कार्यालय में रामवृक्ष बेनीपुरी  राहुल सांकृत्यायन और युवा कवि कलक्टर सिंह केसरी जो पटना कालेज में दिनकर जी के सहपाठी थे, बैठे हुये थे।  "उस दिन जोश मलीहाबादी की अनेक रचनाओं को रामवृक्ष बेनीपुरीजी ने राहुलजी को सुनाया और तब यह शेर- 'कल तो कहते थे कि बिस्तर से उठा जाता नहीं आज दुनिया से चले जाने की ताकत आ गई!' "बोलो केसरी ! तुम हिंदी के कवि लोग इतनी गहरी बात इस सफाई और सरसता के साथ कह सकोगे ?  राहुलजी, आपका क्या खयाल है? हिंदी में इस तरह की आम- फहम भाषा का प्रयोग क्या संभव नहीं?" राहुलजी ने बड़ी देर तक सोचा और फिर कहना शुरू किया-" भाषा के विषय में मैं आपसे भी आगे हूँ, बेनीपुरीजी! मैं तो चाहूँगा कि क्षेत्रीय बोलियों में ज्यादा-से-ज्यादा रचनाएँ प्रकाशित हों। जनता का साहित्य जनता के बौद्धिक स्तर को छूता हुआ नहीं बढ़ेगा, तो जनता पीछे छूट जाएगी और कवि-लेखक अपने आइवरी टावर में सुखपूर्वक निवास करेंगे।" "अच्छा केसरीजी, आप अपनी कितनी रचनाओं को जला चुके हैं ?" इस प्रश्न से

छलनी

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 “अगर हर आदमी अपनी ज़मीन के टुकड़े पर वह सब करे जो वह कर सकता है तो सारी पृथ्वी कितनी सुन्दर हो जाए...” ये बात अपनी ज़मीन के एक टुकड़े को दिखाते हुए बीसवीं सदी के सबसे महान कहानीकार अन्तोन चेखव एक दूसरे महान कलमकार मक्सिम गोर्की को कह रहे हैं,  “यदि मेरे पास बहुत सारे पैसे होते तो मैं इस ज़मीन पर बीमार ग्रामीण अध्यापकों के लिए एक सेहतगाह बनवा देता। एक बड़ी सुन्दर, बहुत ही उजली इमारत बनवाता, बड़ी बड़ी खिड़कियों और ऊँची-ऊँची छतों वाली। वहां बहुत बढ़िया पुस्तकालय होता, तरह-तरह के साज़, मधुमक्खियों के छत्ते, सब्जियों की क्यारियां, फलों के बाग़... वहां कृषिविज्ञान और मौसमविज्ञान पर व्याख्यान का प्रबंध किया जा सकता। एक अध्यापक को सब कुछ पता होना चाहिए मेरे भाई, सब कुछ।“ सबसे पहले तो इस सपने को देखिये, क्या खूबसूरत सपना है!!!  काश कि ऐसा सपना देखने वालों के पास उसे पूरा करने के पैसे भी होते।   -------------- “एक अध्यापक को सब कुछ पता होना चाहिए... सब कुछ” ये ‘सब कुछ’ क्या है? क्या ‘सब कुछ’ पता हो भी सकता है? अगर नहीं तो इतना महान लेख़क ऐसी ना हो सकने वाली बात क्यूँ कह रहा है? हमारे बच्चों का दुर्भाग्य है

जब कभी नींद नहीं आती है तो ‘तुम’ आ जाती हों

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 जब कभी नींद नहीं आती है तो ‘तुम’ आ जाती हों, और जब ‘तुम’ आती हो तो फिर नींद नहीं आती। जब कभी अचानक यूँ आधी रात में नींद खुल जाती है और वापस देर तक आती नहीं तो मैं अक्सर तुम्हें सोचने लगता हूँ, पता नहीं लेकिन ऐसा प्रेम में पड़ने वाला हर लड़का शायद ऐसा करता हूँ।मनगढ़न्त ख़्वाब बुनने लगता है, ख़ुद की कहानी रचने लगता हैं..ख़यालों में ही एक फ़िल्म बनाने लगता हैं जिसमें हीरो भी वहीं है और डिरेक्टर भी वोहीं है और स्क्रिप्ट राइटर भी ख़ुद... और हीरोईन तुम..!! मेरी फ़िल्म थोड़ी अजीब है डिफ़्रेंट है अब तक रिलीज़ हुई  किसी भी रोमांटिक फ़िल्म से.. इस फ़िल्म में वो सारे रोमांटिक सीन है जो अभी तक राजेश खन्ना-मुमताज़, राज कपूर-नर्गिस, धर्मेंद्र-हेमा मालिनी, अमिताभ-रेखा और शाहरुख़-काजोल पर फ़िल्माए गए है... मुझे पुरानी फ़िल्मों वाला सादा-सिम्पल प्यार पसंद है ये अर्जुन-सिद्धार्थ-वरुण धवन वाला नहीं...  इसमें तुम साड़ी में हो  महाराष्ट्रियन साड़ी में.. बालों में गजरा लगाए और नाक में मराठी नथ डालें। मैंने तुम्हें वनपीस ब्लैक सूट या साड़ी पहनें नहीं देखा पर उससे तो कहीं ज़्यादा अच्छी और ख़ूबसूरत साड़ी में ल

विधि_का_विधान_निश्चित_है

   ✍️ महाभारत युद्ध में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु जिस समय वीरगति को प्राप्त हुए, उनकी पत्नी उत्तरा गर्भवती थी। उनके गर्भ से राजा परीक्षित का जन्म हुआ...जो महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे....जन्मेजय राजा परीक्षित के पुत्र थे।  एक दिन जन्मेजय ने वेदव्यास से कुतर्क किया। जहां आप थे ,भगवान श्रीकृष्ण थे, भीष्म, द्रोणाचार्य, धर्मराज युधिष्ठिर, जैसे महान लोग उपस्थित थे। फिर भी आप महाभारत के युद्ध को होने से नहीं रोक पाए और देखते-देखते अपार जन धन की हानि हो गई। यदि मैं उस समय रहा होता तो, अपने पुरुषार्थ से इस विनाश को होने से बचा लेता। अहंकार से भरे जन्मेजय के शब्द थे, फिर भी व्यास जी शांत रहे...उन्होंने कहा, पुत्र अपने पूर्वजों की क्षमता पर शंका न करो।  यह विधि द्वारा निश्चित था,जो बदला नहीं जा सकता था, यदि ऐसा हो सकता तो श्रीकृष्ण में ही इतना सामर्थ्य था कि वे युद्ध को रोक सकते थे। जन्मेजय अपनी बात पर अड़ा रहा। बोला मैं इस सिद्धांत को नहीं मानता.... आप मेरे जीवन की होने वाली किसी होनी को बताइए।....मैं उसे रोककर प्रमाणित कर दूंगा कि विधि का विधान निश्चित नहीं होता.... व्यास जी ने